बेंगलुरू। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राष्ट्र के विकास के लिए युवाशक्ति को आगे आने का आह्वान किया है। सोमवार को परिषद के 56वें राष्ट्रीय अधिवेशन के भाषण सत्र के दौरान राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुनील आंबेकर ने कहा, “राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिये मन में एक प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत है और इस कार्य को सिर्फ युवा शक्ति ही कर सकती है।"
बेंगलूरू में आयोजित अधिवेशन के तीसरे दिन श्री आंबेकर ने कहा कि आज हम एक आजाद देश के नागरिक है। दुनियां भर के लोग इस बात को मानने लगे हैं कि भारत एक दिन विश्व शक्ति बनकर उभरेगा। ऐसे में भविष्य का भारत किस प्रकार का हो, इस विषय पर विचार करना आवश्यक है।
‘भविष्य के भारत की परिकल्पना’ विषयक भाषण सत्र में उन्होंने कहा कि आज हमारे पास एक आदर्श जीवन प्रणाली है, जिसमें थोडी बहुत कमियां हैं जिसे भौतिकवाद से दूर नहीं किया जा सकता है। इसे दूर करने के लिये युवाओं को जागृत करने की आवश्यकता है, इसलिये युवाओं के सबसे बडे संगठन होने के नाते विद्यार्थी परिषद की प्रासंगिकता सर्वकालिक है।
उन्होंने कहा कि हमें भारत को सुपर पावर बनाना है लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि हमारी सोच कैसी है और हमें अपनी शक्ति का उपयोग किस प्रकार करना है। हमें ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ की भावना को लेकर ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की परिकल्पना को साकार करना है। भारत में युवाओं की संख्या विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा सर्वाधिक है और युवा ही परिवर्तन की परिभाषा लिखते हैं। इसलिये इस देश के युवाओं को भारत के गौरवशाली इतिहास और संस्कृत की जानकारी होना आवश्यक है।
श्री आंबेकर ने कहा कि देश की संस्कृति व सभ्यता के बिना अगर हम विकास की बात करते हैं तो यह असंभव है। राष्ट्र की मजबूती के लिये सर्वांगीण विकास की सोच को साकार रुप देने से ही भारत की समृद्धि संभव है। इसके लिये कुछ लोगों को अपना भविष्य और अपना कैरियर दांव पर लगाना होगा।
उन्होंने कहा कि भविष्य के भारत के परिकल्पना के लिये तीन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। पहला, भारत की पहचान क्या है? दूसरा, भारतीय संस्कृति का आधुनिक जीवन में योगदान क्या है? साथ ही इस विषय पर भी विचार करने की जरूरत है कि देश का राष्ट्रीय, सामाजिक सौहार्द कैसा हो? इसके आधार पर भविष्य का भारत के माडल की रूपरेखा तैयार की जानी चाहिए। जिस तरह विश्व में तकनीकी और विज्ञान का विकास होगा, उस आधार पर इसके सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम आना स्वाभाविक है। इस पर अंकुश लगाने का कार्य हम युवाओं का है। इसलिये अभाविप कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी और भी बढ जाती है कि इस देश को अपनी संस्कृति के अनुरूप कैसे बनायें। श्री आंबेकर ने कहा कि हमारे लिये कोई लक्ष्य है तो वह है राष्टीय पुर्ननिर्माण। यह कार्य इस देश के युवा संगठन अभाविप द्वारा ही संभव है।Post templates
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें