सुनील आंबेकर
वर्तमान केन्द्र सरकार में बैठी कांग्रेस ने रामलीला मैदान में 4 जून की मध्य रात्रि के पश्चात जिस बर्बरता एवं दूष्टता का परिचय प्रस्तुत किया, वह अक्षम अपराध की श्रेणी में आता है । रामलीला मैदान की घटना अपघात या गलती की श्रेणी में कदापि नहीं आती, बल्कि यह साफ तौर पर कुटील षडयंत्र के तहत करवायी गयी है । सरकार ने सोची-समझी साजिश के तहत उसके कुकृत्यों के विरूद्ध भड़क रहे जन-आन्दोलन को कुचलने के इरादे से यह घिनौना कृत्य किया है । इस घटना की जितनी निंदा हो, उतनी कम होगी । इस कृत्य को हमारे लोकतन्त्र पर सीधे तौर पर हमला मानना चाहिए । सत्ता में बैठी कांग्रेस का अहंकार एवं पुलिस के डंडे के आधार पर विरोध को कुचलने की मनोवृत्ति के परिणामस्वरूप यह घटना हुयी है ।
ऐसे सत्ता के अहंकार एवं भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी सरकार का मानसिक संतुलन पूरी तरह खो चुका है एवं उसकी सामान्य लोगों के प्रति संवेदनशीलता समाप्त हुयी है । रामलीला मैदान के आन्दोलकारियों की इस बेहरमी को कूचलने का निर्णय सिद्ध कर रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व की बुद्धि भ्रष्ट हुयी है, ऐसी सरकार को सत्ता में एक क्षण के लिए भी रहने का अधिकार नही है । तथा जनता एवं विशेषकर युवाओं का देश के हित में यह महत्वपूर्ण कर्तव्य बन जाता है कि वह ऐसी सरकार को सत्ता से तुरन्त उखाड़ फेंके । ताकी देश की जनता ऐसी सत्ता के चंगुल से मुक्त हों एवं भविष्य के दमन से उसे बचाया जा
सके ।
काले धन के मामले पर सरकार का इस तरह बौखलाकर, दमन नीति को अपनाना सिद्ध करता है कि सत्ता में बैठी श्रीमती सोनिया गांधी सहित सरकार के सर्वोच्च नेताओं के हाथ काले धन से रंगे हुए हैं।
स्थानीय प्रशासन कभी-कभी जोश में या परिस्थिति को संभालने की कुशलता के अभाव मंे गलती कर देता है । लेकिन यह मामला केेन्द्र के प्रमुख मंत्रियों का समूह मा0 प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मार्गदर्शन में पहले दिन से संभाल रहे थे । इसलिए इस कार्रवाई का निर्णय सत्ता के सर्वोच्च स्थान प्रधानमंत्री कार्यालय से श्रीमती सोनिया गांधी के निर्देश पर ही किया गया, यह बिल्कुल साफ है ।
उपरोक्त विश्लेषण हमारे समक्ष तीन बातें स्पष्ट करता है । पहली बात यह है कि केन्द्र सरकार एवं विशेषकर प्रधानमंत्री के संदर्भ में सारे भ्रम समाप्त होकर यह स्पष्ट हुआ है कि वह पूरी तरह भ्रष्टाचारी हैं एवं दूसरी बात यह कि अब इस सरकार से भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने की आशा करना हमारी भूल होगी तथा तीसरी बात यह है कि अब यह सरकार अपने भ्रष्टाचारी साथियों एवं स्वयं के काले धन को बचाने हेतु जनता की हर आवाज को किसी भी तरह कुचलने पर आमादा है ।
भ्रष्टाचार के 3-जी अर्थात श्रीमती सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह एवं राहुल गांधी की टोली किसी गैंग की तरह लूट भी कर रही है तथा बीच में विरोध कर रहे लोगों को गोली मारने पर भी उतारू है।
इनका हाल विनाश काले विपरीत बुद्धि जैसा हो गया है । तीनों बातें एक ही बात की ओर संकेत करती है कि काले धन को वापस लाने एवं भ्रष्टाचारियों को दंडित करने हेतु समस्त देशभक्त जनता को लड़ना होगा ।
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना साकार करने हेतु नयी व्यवस्थाऐं लागू करनी होंगी । इस हेतु लगता है सारी जनता नेतृत्व एवं दिशा ढूँढ़ रही है । ऐसी शक्ति की आज जरूरत है ज्यों मजबूती से सत्ता के मद को चूर कर देगी ।
इस सरकार की स्मरण शक्ति कमजोर हुयी, इसलिए शायद आपातकाल के विरूद्ध छात्र-युवा सहित समस्त जनसंघर्ष का सबक वह भूल गयी हैं ।
युवाओं को रास्ते पर आना होगा, अब लड़ाई केवल टी.वी. चैनलों के विवादों से जीतना संभव नही होगा । इस सरकार की बातचीत एवं बौद्धिक बहस की संवेदनशीलता समाप्त हुयी है, इसलिए छात्रशक्ति- युवाशक्ति द्वारा युद्धघोष यह समय की आवश्यकता है । दूष्ट शक्तियों से हमेशा लड़ना ही पड़ता है ।
करोड़ों सामान्य लोगों की आशाएँ भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में लगी हैं । इसलिए विद्यार्थी परिषद के आहवान पर युवाओं को इस मशाल को उठाना ही होगा ।
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लेख है आपका....ये मेरा दुर्भाग्य है कि मैं इसे विलम्ब से बाँच सका...किंतु अब इस प्रकरण का पटाछेप हो चुका है....फिर भी आजाद भारत में ये सरकार के सबसे अधिक जघन्य कृत्यो में ये गिना जायगा और मोदी सरकार में यदि इस काण्ड के दोषियों को सज़ा नही मिलती है तो निश्चित ही मोदी सरकार को भी इस दुर्दांत काण्ड का समर्थन करने का दोषी माना जाना चाहिये.....।
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