लखनऊ। 1 May , 2011 शिक्षा क्षेत्र में हो रहे नैतिक पतन ने पूरी ब्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया। सीबीएसई बोर्ड द्वारा संचालित ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एक्जाम (एआईईईई) के पेपर लीक होने से जहाँ एक तरफ इस बोर्ड की साख़ पर बट्टा लगा वहीं शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त खामिया एक बार फिर जनता के सामने उजागर हुयी हैं। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के पेपर लीक होने का तात्कालिक परिणाम भले ही यह नजर आ रहा हो कि इससे विद्यार्थियों को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा और कुछ देर के लिए उलझन की स्थिति पैदा हुई, लेकिन इसके कारण कहीं ज्यादा गहरे और परिणाम दूरगामी हैं। महत्वपूर्ण परीक्षाओं के पेपर लीक होना अब आम बात होती जा रही है। आज फिर ये साबित हो गया कि पुरानी गलतियों से हमारे देश में कोई सबक नहीं लिया जाता। इंजीनियर बनने का ख्वाब देख रहे 15 लाख छात्रों के पैरों तले जमीन उस समय खिसक गयी जब उन्हें पता चला कि ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एक्जाम का पर्चा लीक हो गया। नतीजा ये कि परीक्षा कराने वाली सीबीएसई को नए पेपर के साथ और नए वक्त पर परीक्षा करानी पड़ी।
इंजीनियरिंग का ये पेपर परीक्षा शुरू होने से 10 घंटे पहले ही आ गया था। इंजीनियरिंग का ये वो पेपर है जिसे परीक्षा के बाद भी सेंटर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता। यही पेपर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 6 लाख रुपए में बिका। पेपर लीक होने की खबर देश में आग की तरह फैली। पेपर लीक मामले में बताया जा रहा है कि कानपुर से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 15 लाख छात्रों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं। हजारों छात्र ऐसे भी थे जो चिलचिलाती गर्मी में अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर में परीक्षा देने के लिए पहुंचे थे।
लीक हुए इंजीनियरिंग के पेपर का फैक्स मिलने के बाद झटका सीबीएसई को भी लगा जिस पर परीक्षा कराने की जिम्मेदारी थी। ऐसे में चंद मिनटों बाद ही शुरू होने जा रही परीक्षा को रोकने का फैसला किया गया। आनन-फानन में पुणे, लखनऊ, दिल्ली, कानपुर, तमाम सेंटरों से ये खबर आने लगी कि इंजीनियरिंग की परीक्षा रोक दी गई है। जिन केंद्रों पर छात्रों में पेपर बांटा जा चुका था वहां उनसे पेपर छीन लिया गया। परीक्षा केंद्रों से छात्रों को बाहर धकेलने के बाद सीबीएसई ने फरमान सुना दिया कि परीक्षा रद्द नहीं होगी। तय ये किया गया कि परीक्षा के लिए तैयार किए गए तीन सेट में से दूसरा पेपर छात्रों में बांटा जाएगा। परीक्षा तय समय से 3 घंटे देरी से होगी। साढ़े 9 बजे होने वाली पहली पाली की परीक्षा दोपहर 12 बजे से कराई जाएगी। दूसरी पाली की परीक्षा शाम 4 बजे से होगी।
लेकिन ये फरमान सुनाते वक्त सीबीएसई के आला अफसर ये भूल गए कि एक मई को ही सेना के मेडिकल कॉलेजों के लिए भी भर्ती परीक्षा होनी तय है। एएफएमसी की इस परीक्षा का समय दोपहर के 2 बजे था। सीबीएसई ने ये ध्यान ही नहीं रखा कि जो छात्र इंजीनियरिंग का तीन घंटे तक चलने वाला पहला पेपर देंगे वो 2 बजे से एएफएमसी की परीक्षा कैसे दे पाएंगे। सीबीएसई ये भी भूल गई कि एक ही सेंटर पर एक ही वक्त में इंजीनियरिंग और मेडिकल की परीक्षा कैसे होगी। क्योंकि हजारों की तादाद में छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल दोनों ही परीक्षाओं में बैठते हैं।
पेपर लीक के चलते पहले से परेशान छात्रों पर इस फैसले ने दोहरी मार की। घंटों तक असमंजस की हालत बनी रही। छात्रों की परेशानी बढ़ती देख आखिरकार सेना के अफसर हरकत में आए। एएफएमसी ने छात्रों को राहत देते हुए ये फैसला किया कि वो दोपहर 2 बजे के बजाय 4 बजे से परीक्षा शुरू कराएंगे। इससे जो छात्र इंजीनियरिंग का सिर्फ पहला पेपर देकर मेडिकल का इम्तिहान देना चाहते थे। उनकी मुश्किल खत्म हो गई। मालूम हो कि इंजीनियरिंग का दूसरा पेपर देना उन्हीं छात्रों के लिए जरूरी होता है जो आर्टिटेक्चर की पढ़ाई करना चाहते हैं। वैसे सीबीएसई के रवैये को देखते हुए सेना के अफसर भी अपनी नाराजगी छिपा नहीं पाए।
गौरतलब है कि इंजीनियरिंग की परीक्षा के लिए पहले 24 अप्रैल की तारीख तय की गई थी। लेकिन सीबीएसई ने बिना सोचे-समझे तारीख 1 मई कर दी जबकि इस दिन पहले से ही सेना के मेडिकल कॉलेजों के लिए परीक्षा होनी तय थी। पेपर लीक होने के बाद घंटों तक मचे बवाल की ये एक बड़ी वजह रही। छात्रों की परेशानी और हर तरफ से बढ़ते दबाव को देखते हुए सीबीएसई को आखिरकार एक और फैसला करना पड़ा।
सीबीएसई का फैसला किया कि जो छात्र एएफएमसी के चलते रविवार की परीक्षा नहीं दे पाए उनकी परीक्षा 8 मई को दोबारा ली जाएगी। इस खबर के बाद छात्रों के जान में जान आई। विदित हो कि एआईईईई का पेपर दो बक्सों के भीतर चार तालों में बंद होकर पहुंचता है। को-ऑर्डिनेटर के मुताबिक ऊपर के बक्से में लगे दो तालों की चाबियां नहीं होती। इन्हें तोड़ना पड़ता है। उसके भीतर रखे बक्से की चाबियां खोलकर पेपर बाहर निकाला जाता है। यह बक्सा बैंक में रखा रहता है और परीक्षा के कुछ समय पहले ही बाहर निकाला जाता है।
आज देश में चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है। जाहिर है कि शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन एसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या इंजीनियरिंग जैसे अहम परीक्षाओं के पर्चा लीक होने को रोक पाना प्रशासन के बस की बात नहीं। यह इसलिए और भी ज्यादा चिंता का विषय है क्योंकि अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थी कल देश के गंभीर और जिम्मेदार पदों पर होंगे और उनके कंधों पर महत्वपूर्ण दायित्व होंगे।
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