किसी भी देश के विकास का प्रमुख आधार शिक्षा है। शिक्षा के बिना देश का विकास संभव नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे शिक्षा का व्यावसायीकरण होता गया जिसके कारण यह भ्रष्टाचार के दलदल में भी धंसता चला गया।
आज भारत में अधिकतम विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए हैं और भ्रष्टाचार का यह खेल स्वयं कुलपति के ही नाक के नीचे खेला जा रहा है। विश्वविद्यालय के संचालन से लेकर शिक्षा की गुणवत्ता का कार्यभार कुलपति पर होता है। ऐसे में इस पद पर किसी उच्च शिक्षित, मूल्यों पर चलने वाले एवं ईमानदार व्यक्ति के सुशोभित होने की अपेक्षा की जाती है। लेकिन सबसे शर्मनांक बात तो यह है कि कुछ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति भी अवैध रूप से हुई है और उनकी डिग्रियां भी फर्जी पाई गई है। कुलपति बनने के लिए उच्च शिक्षा का कोई मोल नहीं रह गया है। योग्यता, मर्यादा को ताक पर रखकर कुलपति चयन का अधार केवल पैसा, जाति, क्षेत्र एवं चापलूसी रह गया है। इन कुलपतियों की नियुक्ति कहीं राजनीतिक दबाव के कारण हुई तो कहीं पैसों के लेनदेन के आधार पर। यही कुलपति आगे अयोग्य अध्यापकों की नियुक्ति कर देश का भविष्य खतरे में डाल रहे हैं। उक्त बातें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री विष्णु दत्त शर्मा नई दिल्ली में ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में आज देश के 25 भ्रष्ट कुलपतियों की सूची जारी करते हुए कहा है।
इस सूची में मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के वीसी कमलाकर सिंह का नाम सबसे ऊपर है जिनके ऊपर भारतीय दंड संहिता के तहत तमाम मुकदमे दर्ज किए गए हैं. एबीवीपी का कहना है कि स्वयं कुलपति की नियुक्ति में गड़बड़ी की गई थी. उनकी नियुक्ति के समय ही विरोध किया गया था लेकिन कमलाकर सिंह को कुलपति बनाया गया. बाद में एबीवीपी के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री विष्णुदत्त शर्मा की याचिका पर उच्च न्यायालय ने उनकी नियुक्ति को खारिज कर दिया. उनकी एलएलबी की डिग्री भी फर्जी पाई गई है. मगध विश्वविद्यालय के कुलपति अरविंद कुमार का मामला भी ध्यान देने योग्य है. पटना उच्च न्यायालय ने उनकी नियुक्ति को अवैध घोषित कर रखा है हालांकि अरविंद कुमार अभी फरार हैं.
मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कमलाकर सिंह पर पी.एच.डी. की नकल का आरोप है जिसके कारण इन पर धारा 420 के तहत केस दर्ज किया गया है । इन्होंने एल.एल.बी. की डिग्री फर्जी तरीके से नौकरी में रहते हुए भी रैगुलर कोर्स से प्राप्त की । सिंह पर विश्वविद्यालय में आर्थिक भ्रष्टाचार करने का भी आरोप है। मध्यप्रदेश के भोज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. के. सिंह पेपर लीकेज में दोषी पाए गए है । उन्होंने प्रिंटिंग में 35 लाख रूपये व पाठ्यसामग्री लिखवाने एवं विश्वविद्यालय के लिए जरूरी सामानों की खरीद में लाखों का घोटाला किया है । उन पर फर्जी नियुक्तियों का भी आरोप है एवं उन्होंने विधानसभा में भी गलत जानकारी प्रस्तुत की ।
कर्नाटक के विश्वेसरैया तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. महेशप्पा ने अपनी नियुक्ति के समय स्नातकोत्तर डिग्री के फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किये और रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद (डीआरडीओ) के सामने गलत सूचना दी। कर्नाटक के महिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. सैयद अखतर ने 92 प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार किया और विश्वविद्यालय के कोष का स्वयं के लाभ के लिए दुरूपयोग किया। कर्नाटक के मैसूर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. शशिधर प्रसाद ने 162 प्राध्यापकों एवं 151 कर्मचारियों की नियुक्ति में यूजीसी एवं वि.वि. नियमों का खुला उल्लंघन किया । नियुक्ति प्रक्रिया में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना तथा अनु. जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की आरक्षण नीति की अवहेलना की। इन्होंने डा. रंगविथालाचार कमेटी के द्वारा लगाए गए आरोपों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की ।
बैंगलोर के आर.जी.यू.एच.एस. विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. पी.एस. प्रभाकरन की मेडिकल के पी.जी. के लिए कॉमन एंटरेंस टेस्ट में गैरकानूनी रूप से संलिप्तता पाई गई है। सीबीआई ने प्रभाकरन पर आईपीसी की धारा 420 के तहत केस दर्ज किया है। आन्ध्र प्रदेश स्थित पालमूर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री गोपाल रेड्डी पर आर्थिक भ्रष्टाचार, अपने चहेतों को अनाधिकृत लाभ देना, विश्वविद्यालय के एकाउन्ट में किसी भी तरह की पारदर्शिता का न होना और 12 करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप है। आन्ध्र प्रदेश के श्रीकृष्ण देव राय विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमति कुसुम कुमारी पर नियुक्ति में भ्रष्टाचार, अयोग्य व्यक्तियों की नियुक्ति, आरक्षण नीति का पालन न करने का आरोप है । कुसुम पर राज्य सरकार की जांच कमेटी में आरोप सिद्ध हुए हैं ।
गुजरात में सूरत स्थित वीर नरमद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बी.ए. प्रजापति ने प्रश्न पत्र लीक करने वाले कॉलेजों का सहयोग किया, टेण्डर देने में भारी भ्रष्टाचार किया व अयोग्य व्यक्तियों की नियुक्ति की । इस विश्वविद्यालय की कुल 370 फर्जी मार्कशीट पकड़ी गई है। अहमदाबाद स्थित गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति डा. परिमल त्रिवेदी ने महाविद्यालयों पर दबाव बनाया कि वह अयोग्य छात्रों से पैसा लेकर उन्हें प्रवेश दे । उन्होंने अपनी पत्नी को उनकी परीक्षा में अनुचित लाभ दिलाया और उत्तर पुस्तिका प्रिन्टिंग में भ्रष्टाचार किया ।
छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम.पी. पाण्डेय पर भारी वित्तीय अनियमितताओं और नियुक्तियों में धांधली करने का आरोप है। असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तपोधीर भट्टाचार्जी पर पैसे लेकर अयोग्य व्यक्तियों की नियुक्ति करने, विश्वविद्यालय की नेटवर्किंग में दो करोड़ रूपये का घोटाला करने, फंड का गलत प्रयोग और विश्वविद्यालय में परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप है। असम के डिब्रुगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति कन्दर्प कुमार डेका की नियुक्ति ही अवैधानिक है। डेका ने परीक्षा परिणाम में भारी धांधली की है।
बिहार स्थित मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अरविन्द कुमार पर भ्रष्टाचार व अवैध नियुक्ति का आरोप है। 4 मई 2011 को पटना उच्च न्यायालय ने नियुक्ति को ही अवैध घोषित किया। बिहार स्थित तिलकामांझी विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डा. प्रेमा झा पर अवैध नियुक्ति, निर्माण कार्य में अनियमितता, उप कुलसचिव की अवैध नियुक्ति का आरोप है । उन पर धारा 420, 409, 465, 467, 468, 166, 177, 553, 120बी, 324 के तहत मामला दर्ज किया गया है । बिहार के छपरा जिले में स्थित जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति डा. दिनेश प्रसाद सिन्हा पर शराब पीकर लोक गीत गायिका देवी के साथ छेड़छाड़ का आरोप है । दिनेश पर धारा 341, 342, 323, 354, 509 के तहत केस दर्ज है। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के ही पूर्व कुलपति डा. आर. पी. शर्मा पर छल से धन गबन करने के आरोप में धारा 409 व 420 के तहत मामला दर्ज किया गया है। झारखण्ड के कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. फादर बैनी एक्का पर 21.5 लाख का अग्रिम राशि गबन का अरोप है।
उत्तर प्रदेश स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मनोज मिश्रा पर बीएड प्रवेश परीक्षा में 11 करोड़ के घोटोले, नियुक्तियों में धांधली, मूल्यांकन में भारी अनियमितताओं व महाविद्यालयों को फर्जी मान्यता देने का आरोप है। उत्तर प्रदेश के वी.वी.डी. विश्वविद्यालय के कुलपति डा. ए.के. मित्तल पर उत्तर पुस्तिका प्रिंटिंग में 5 करोड़ व सत्र 2008-09 में नामांकन एवं परीक्षा शुल्क में 1.25 करोड़ के घोटालों का आरोप है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के. अब्दुल अजीज पर वित्तीय अनियमितताओं के चलते सीबीआई की जांच चल रही है । अजीज ने पूर्व छात्र परिषद के नाम पर अरब देशों से करोड़ों रूपयों की उगाही की है । गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरूण कुमार पर बीएड में धांधली का आरोप सिद्ध हुआ जिसके बाद उन्हें राज्यपाल ने बर्खास्त कर दिया। उत्तर प्रदेश स्थित पूर्वाचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एन.सी. गौतम पर भी बीएड में धांधली और नियुक्तियों में अनियमितताओं का आरोप है।
उत्तराखण्ड स्थित कुमायुं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सी.पी. बरतवाल पर कई छात्रों को फर्जी पी.एच.डी. करवाने, अपने रिसर्च पेपर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तैयार करने और आर्थिक आरोप है।
राजस्थान के जयनारायण विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. नवीव महतो पर नियुक्तियों में भ्रष्टाचार करने, विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग की गोपनीयता को स्वयं भंग करने और निजी एजेन्सी द्वारा परीक्षा परिणाम बनाने में भारी गड़बड़ी करने का आरोप है ।
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