वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में 26-29 मई तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक संपन्न हुई। भ्रष्टाचार के विरुद्ध नागरिकों के मन में उपज रहे क्षोभ को संबोधित करते हुए परिषद ने इसके विरुद्ध लोकतांत्रिक पद्धति से सशक्त संघर्ष छेड़ने का आह्वान देश के छात्र-युवाओं से किया।
बैठक का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. मिलिन्द मराठे व राष्ट्रीय महामंत्री श्री उमेश दत्त ने कहा कि इस सत्र में अभाविप की सर्वोच्च प्राथमिकता भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं को संगठित कर भ्रष्टाचार करने वालों और इन भ्रष्टाचारियों को प्रश्रय देने वालों के खिलाफ एक जन आंदोलन खड़ा करना है।
अपने संबोधन में प्रो. मिलिन्द मराठे ने कहा कि यह देश की सुरक्षा और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ विषय है। इसलिये भ्रष्टाचार के खात्मे के लिये पहले इसकी जड़ तक पहुंचना होगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ सत्ता परिवर्तन ही अभाविप का लक्ष्य नहीं है, यह लड़ाई हम व्यवस्था परिवर्तन तक ले जाना चाहते हैं। यह कार्य जनआंदोलन के दबाव के बिना संभव नहीं है। यूथ अगेन्स्ट करप्शन की मुहिम इसी जन आंदोलन का हिस्सा है जिसमें देश के प्रबुद्ध लोगों के साथ आम विद्यार्थी और युवाओं को भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जोड़ा जायेगा।
भ्रष्टाचार, देश की वर्तमान परिस्थिति, भ्रष्ट केन्द्र सरकार सत्ता छोडो तथा शैक्षिक शुल्क सर्वेक्षण के रिपोर्ट के संबंध में कुल चार प्रस्ताव पारित किये गये।
संगठनात्मक विस्तार पर चर्चा करते हुए राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुनील आंबेकर ने वर्तमान शैक्षिक सत्र के संगठनात्मक आंकड़ों को रखते हुए समीक्षात्मक चिंतन की बात कही। बीते शैक्षिक सत्र में 18 लाख 34 हजार सदस्य संख्या को बढ़ा कर अगले शैक्षिक वर्ष में 20 लाख से अधिक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया।
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